
दिन ढल रहा था, लेकिन शहर की कुछ इमारतें अब भी जगी थीं। उन्हीं में एक ऊँची, स्याह इमारत — “Khuraana Group Headquarters” — जो बाहर से जितनी चमकदार लगती थी, अंदर से उतनी ही रहस्यमयी थी। उस इमारत की सबसे ऊपरी मंज़िल पर अद्रकाश खुराना का ऑफिस था, एक गहरी स्याही से सना गढ़, जहाँ से वह अपने हर मोहरे को नियंत्रित करता था।
वह इस वक़्त अकेला था। लेकिन अकेला कहाँ?

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